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गोरखा वार मेमोरियल

 

‘उपेक्षित है एंगलो-गोरखा वार मेमोरियल’
           नाहन..! यहां की भूमि रहस्यों और रोमांच से भरी पड़ी है। कम लोग जानते हैं। नाहन, एंगलो-गोरखा वार का केन्द्र रहा है। सिरमौर में एंगलो-गोरखा वार 26 दिसम्बर 1814 से 15 मई 1815 तक लड़ा गया। इस युद्ध में गोरखा सैनिकों ने ब्रिटिश और सिरमौर रियासत के सैनिकों की संयुक्त सेना को हराया था। युद्ध में करीब 600 सैनिकों के मारे जाने की सूचना है।
         नाहन के एम.सी. कार्यालय और पक्का तालाब के समीप मुख्य सड़क के पास यह एंगलो गोरखा वार मेमोरियल है। पर युवा पीढ़ी शायद इस बात को नहीं जानती। यह स्थल अक्सर झाडि़यों से ढका हुआ रहता है। नगर परिषद ने इस वार मेमोरियल की कभी साफ सफाई करने की सोची ही नहीं।
एंगलो गोरखा वार के दौरान गोर्खा सैनिक जैतक फोर्ट से नाहन पर काबिज थे। कुछ समय के लिए सिरमौर का शासन गोरखा कमांडर काजी रणजोर थापा के हाथ रहा। यदि इतिहास को खंगालें तो हमें इस बात की जानकारी प्राप्त होगी कि एंगलो-गोरखा वार की शुरूआत और इसका अंत सिरमौर में ही हुआ था।

        नाहन से करीब 10-12 किलोमीटर दूर स्थित जैतक किले में गोरखा सैनिकों और ब्रिटिश सैनिकों के बीच घमासान युद्ध हुआ। किन्तु इस युद्ध में ब्रिटिश सैनिकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। उनके सैनिक मारे गए और जान-मान का भारी नुकसान हुआ। गोरखा सैनिकों ने जैतक के किले पर तब तक कब्जा जमाए रखा जब तक 1815 में नेपाल सरकार और ब्रिटिश इंडिया गर्वमेंट के बीच सझौता नहीं हो गया।
         ब्रिटिश शासन ने अपने शीद सैनिकों की स्मृति में नाहन में युद्ध स्मारक का निर्माण किया था।

 

(नोटः उपलब्ध जानकारी के अनुसार हमने इस आर्टिकल को तथ्यपरक बनाने का प्रयास किया है। यदि आपको इसमें किसी तथ्य] नाम] स्थल आदि के बारे में कोई सुधार वांछित लगता है तो info@mysirmaur.com पर अपना सुझाव भेंजे हम यथासंभव इसमें सुधार करेंगे)

 

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