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अम्मा तुझे सलाम

नाहन...! यहां की मशहूर कुम्हार गली..! शायद अब नाम की ही रह गई है। 

शहर के इस भाग में भी अब जबरदस्त बदलाव देखने को मिलता है। इस गली में पहले कुम्महारों की ढेरों दुकानें हुआ करती थी। 

हर दिवाली के अवसर पर...! मां मुझे यहां से दीये लाने भेजती थी। कई दफा ठंडे पानी के लिए घड़ा भी यहां से लेकर जाना पड़ता था। एक बार तो गांव पहुंचने से पहले ही घड़ा फूट गया था। 

तब मां से खूब डांट पड़ी थी...!

नाहन में रियासत काल से मिटटे के बर्तनों का कार्य होता रहा है। कुशल कुम्हार अपने हाथों का जादू बिखेरते थे। लेकिन धीरे-धीरे यह व्यवसाय। मुनाफे का नहीं रहा। इस लिए कुम्हार परिवारों ने अपने परम्परागत व्यवसाय में बदलाव किया। 

लेकिन...! अभी भी नाहन की कुम्हार गली में यह अम्मा। इसने हार नहीं मानी है। वह आज भी अपना हुनर बेच रही हैं। 
मिटटी के बर्तनों से सजे इस दुकान पर...! अब शायद पहले जैसी भीड़ और डिमांड न हो। 

फिर भी...! वह हिम्मत के साथ अपने पुश्तैनी कार्य को आगे बढ़़ा रही है।
अम्मा तुझे सलाम...!

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(नोटः उपलब्ध जानकारी के अनुसार हमने इस आर्टिकल को तथ्यपरक बनाने का प्रयास किया है। यदि आपको इसमें किसी तथ्य] नाम] स्थल आदि के बारे में कोई सुधार वांछित लगता है तो info@mysirmaur.com पर अपना सुझाव भेंजे हम यथासंभव इसमें सुधार करेंगे)

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